
पंकज कुमार,वरिष्ठ पत्रकार
Bihar News
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 24 फरवरी को भागलपुर यात्रा को भी चुनावी तैयारियों के रूप में ही देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए NDA पूरी ताकत झोंक दिया है। बिहार में यात्राओं का सिलसिला शुरू हो गया है। सात माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाला है और बिहार अब चुनावी मोड में आने को बेताब है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 फरवरी को दिल्ली दौरे पर जा रहे हैं. वहां वे पीएम से मुलाकात कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा भी हो सकती है. कहा जा रहा है कि अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव कराने पर भी बात हो सकती है. बजट में चुनावी रेवड़ियों की सरकार घोषणा कर सकती है. उसके बाद चुनाव की चर्चा है.
बीमारी के बावजूद लालू यादव विधानसभा चुनाव प्रचार की घोषणा कर चुके हैं. उपचुनाव में तो वे निकले ही थे. यह अलग बात है कि 2020 के बाद वे जहां और जिसके प्रचार में गए, वहां का उनका उम्मीदवार हार गया. बालू माफिया के रूप में मशहूर सुभाष यादव के प्रचार में तो झारखंड के कोडरमा तक लालू चले गए थे. विधानसभा उपचुनाव में सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे के प्रचार में गए. दोनों ही हार गए. वे कार्यकर्ताओं से कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव में प्रचार करेंगे. लोकसभा चुनाव में वे अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के प्रचार में गए थे. नामांकन से लेकर मतदान के दिन तक वे वहां डेरा जमाए रहे. फिर भी रोहिणी हार गईं. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार लालू किस-किस के प्रचार में जाते हैं और वहां का रिजल्ट कैसा होता है.



यकीन मानिये बिहार में राजनीतिक घुड़दौड़ शुरू हो गई है. हर दल और हर गठबंधन में दौरों का दौर चल रहा है. एनडीए में तो दौरों का साझा प्रयास दिख रहा है, लेकिन महागठबंधन में सब अकेले-अकेले दौरे कर रहे. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कार्यकर्ताओं से मिलने के बहाने पूरा बिहार घूम आए. सीपीआई (एमएल) नेता बिहार बदलो अभियान के लिए जिलों में घूम रहे हैं. वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की निषाद आरक्षण यात्रा लोकसभा चुनाव के पहले से ही अनवरत जारी है. कांग्रेस ने चुनाव के लिए उपयोगी दो बड़े आयोजन पखवाड़े भर के अंतराल पर पटना में कर लिए. इन कार्यक्रमों में शिरकत कर राहुल गांधी ने सुस्त पड़ी बिहार कांग्रेस को थोड़ी हिम्मत दी है. हालांकि राहुल ने दोनों मौकों पर जिस तरह की बात कही, उससे महागठबंधन को फायदे के बजाय नुकसान अधिक होने का खतरा है. राहुल ने महागठबंधन सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि जाति सर्वेक्षण को खारिज कर दिया है.


एनडीए नेताओं के पांच दौरे
हाल के महीनों में एनडीए नेताओं के कम से पांच दौरे हुए हैं. सबसे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हिन्दू स्वाभिमान यात्रा निकाली. हालांकि कि जेडीयू की आपत्ति पर भाजपा ने उनकी यात्रा से पल्ला झाड़ लिया था. प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उसे उनकी निजी यात्रा बता दी. उसके बाद जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा पुराने कार्यकर्ताओं को जोड़ने निकले. हालांकि बीच में ही उनकी यात्रा विवादों में फंस गई. फिर एनडीए में शामिल पार्टियों के प्रमुख साझा यात्रा पर जिलों में गए. अब सभी 38 जिलों में एनडीए के मंत्रियों ने दौरा शुरू किया है. नीतीश कुमार की बतौर सीएम प्रगति यात्रा चल ही रही है. अब तो पीएम नरेंद्र मोदी भी 24 फरवरी को बिहार आ रहे हैं.

महागठबंधन के भी दौरे
महागठबंधन की बात करें तो वहां भी यात्राओं का दौर चल रहा है. पर, एनडीए जैसा साझा प्रयास वहां नहीं दिखता. हालांकि अलग-अलग उनके प्रयासों का मकसद एक ही है- एनडीए से सत्ता छीनना. तेजस्वी लगातार यात्रा पर रहे हैं. सीपीआई (एमएल) का बदलो बिहार कार्यक्रम चल रहा है. मार्च में पटना में बड़े आयोजन के साथ इसकी पूर्णाहुति होनी है. मुकेश सहनी निषाद आरक्षण यात्रा पर हैं. कांग्रेस से राहुल ने पखवाड़े भर में दो दौरे किए. कांग्रेस को छोड़ कर बाकी सभी की यात्राओं में महागठबंधन सरकार के 17 महीने के कार्यकाल की उपलब्धियां सबने बताई. सरकारी नौकरी से जाति सर्वेक्षण तक को महागठबंधन सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में सबने रेखांकित किया. सिर्फ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ही ऐसे रहे, जिन्होंने अपनी ही सरकार के कार्यकाल की जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट को फर्जी बता कर बड़ी उपलब्धि पर पानी फेर दिया.
यात्रा में खूब बांट रहे हैं नीतीश कुमार
यात्राओं में नीतीश ने दिल खोलकर बांटा है. हर जिले में नई योजनाओं की उन्होंने प्रगति यात्रा के दौरान घोषणा की. पिछली ही कैबिनेट मीटिंग में ऐसी योजनाओं के लिए 13 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी. सड़कें, पुल, भवन जैसे नए काम शुरू होंगे. मंत्री भी यात्रा पर निकले हैं. वे अपने दौरे में एनडीए सरकार की उपलब्धियां लोगों को बताएंगे. कुछ आश्वासन वे भी देंगे ही. एनडीए में शामिल पार्टियों के प्रदेश प्रमुख अटूट एकजुटता का संदेश अपनी यात्रा के दौरान जिला इकाइयों के नेताओं-कार्यकर्ताओं दे चुके हैं. तकरीबन महीने भर उनकी यात्रा का भी क्रम चला है.
महागठबंधन में तो पद भी बंटने लगे
इतना ही नहीं, महागठबंधन में यात्राओं के साथ सीएम और डेप्युटी सीएम तक घोषणाएं होने लगी हैं. लालू अपने बेटे तेजस्वी यादव को हर हाल में सीएम बनाने के संकल्प को पूरा करने पर अड़े हैं. तेजस्वी यादव वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को तो लोकसभा चुनाव के दौरान ही डेप्युटी सीएम घोषित कर चुके हैं. अब तो खुद सहनी सबको बता रहे हैं कि अगला डेप्युटी सीएम वे ही बनेंगे. कांग्रेस दो डेप्युटी सीएम चाहती है. भोजपुरी में इसके लिए कहावत प्रचलित है- गाछे कटहर, ओंठे तेल.
