दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 क्या कांग्रेस ने लिया केजरीवाल से बदला?

तनवीर अहमद
सामाजिक कार्यकर्त्ता

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे राजनीति के नए समीकरणों को जन्म दे गए हैं। आम आदमी पार्टी की हार और कांग्रेस के उभरते हुए वोट शेयर ने राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा छेड़ दी है कि क्या कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल से अपना बदला लिया है। यह आरोप इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि पिछले वर्षों में हरियाणा, गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था। दिल्ली में कांग्रेस ने लगभग 12 सीटों पर आम आदमी पार्टी को हराने का काम किया है, हालांकि खुद एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई।

दिल्ली में कांग्रेस को अब भी वापसी की उम्मीद है।
यह सचाई ध्यान कि कभी दिल्ली कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार तीन बार सरकार बनाई थी। लेकिन केजरीवाल ने जन आंदोलन के माध्यम से कांग्रेस को शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया था। पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, और उसका वोट शेयर घटकर मात्र 4.2% रह गया था।

2025 के चुनाव में कांग्रेस ने थोड़ी मजबूती दिखाई और 2% अधिक वोट हासिल करने में सफल रही। हालांकि सीटें न जीतने के बावजूद कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए 12 स्थानों पर उसे हराने का काम किया। यह कांग्रेस के लिए दिल्ली में फ़िर से एक बार रणनीतिक बढ़त की ओर संकेत करता है।

दिल्ली चुनाव में एक और दिलचस्प पहलू यह रहा कि आप और कांग्रेस पार्टी का वोट प्रतिशत जोड़ दें तो भाजपा को 4% कम वोट मिले। यह दर्शाता है कि दिल्ली की जनता ने अभी भी भाजपा को पूरी तरह पसंद नहीं किया है। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत जोड़ा जाए, तो स्पष्ट होता है कि दिल्ली की जनता भाजपा के मुकाबले विपक्ष को प्राथमिकता दे रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि जनता जब भाजपा और आप दोनों से ऊब जाएगी, तो वह कांग्रेस पर भरोसा जताएगी। शीला दीक्षित के कार्यकाल का विकास आज भी दिल्ली की जनता को याद है।

दिल्ली चुनाव के नतीजों का असर उत्तर प्रदेश और बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। यूपी और बिहार में भी अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव के लिए कांग्रेस को हल्के में लेना अब एक गलती साबित हो सकता है। जिस तरह केजरीवाल ने कांग्रेस को कमजोर समझने की भूल की थी, वैसी गलती ये क्षेत्रीय दल नहीं दोहराना चाहेंगे। कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है, और आने वाले दिनों में कांग्रेस अपनी पूरी क्षमता के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी।
यह समय कांग्रेस के लिए अपने सहयोगियों से बेहतर तालमेल बनाने का है। क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर कांग्रेस को एक मजबूत गठबंधन तैयार करना होगा। राष्ट्रीय स्तर पर जनता एक ऐसे विकल्प की तलाश में है जो न केवल भाजपा के विकल्प के रूप में उभरे, बल्कि एक मजबूत और स्थिर सरकार भी प्रदान कर सके।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 ने यह संकेत दे दिया है कि कांग्रेस अपने सर्वाइवल के लिए तैयार है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच संघर्ष का लाभ उठाते हुए कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। अगर कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ बेहतर रणनीति बनाकर मैदान में उतरे, तो वह भविष्य में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन लाने में सक्षम हो सकती है।

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