
पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज हो गई है। इसी साल के अंत तक बिहार में चुनाव होने की उम्मीद है। हालांकिअब तक इसको लेकर आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। बिहार चुनाव को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी एक्टिव हो गए हैं। वह फिलहाल बिहार पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने सीएम आवास में एनडीए नेताओं से भी मुलाकात की।
बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की तैयारी तेज हो गई है। तमाम राजनीतिक अभी से ही चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। सभी नेताओं चुनाव को लेकर पूरा जोर लगा रहे हैं।

आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह भी पटना पहुंच गए हैं।
शाह ने रविवार को सीएम आवास में तमाम एनडीए नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चुनावी रणनीति पर भी चर्चा की।
गोपलगंज में भी शाह ने लोगों को किया संबोधित
शाह ने पटना पहुंचते ही सबसे पहले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ एक समारोह में मंच साझा किया। जहां 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की केंद्रीय और राज्य परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया।
इसके बाद गोपालगंज में भाजपा की एक रैली को संबोधित करने के बाद सीएम के घर पहुंचे। नीतीश ने पूर्व भाजपा अध्यक्ष को गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया और दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक बातचीत चली।
वहीं, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) भी इस बैठक का हिस्से बने।
मीटिंग के बाद उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की। चिराग ने कहा कि चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि चुनावों से पहले गठबंधन को कैसे मजबूत किया जाए।
बता दें कि फिलहाल, चिराग की पार्टी का राज्य विधानसभा में कोई मेंबर नहीं है, लेकिन पिछले साल के लोकसभा चुनावों में, लोजपा (आर) ने सभी पांच सीटों पर शानदार जीत हासिल की थी।

क्या बोले चिराग?
चिराग ने जोर देकर यह भी कहा कि बैठक जल्दी खत्म हो गई क्योंकि एजेंडे में कोई प्रमुख मुद्दे नहीं थे। इस बैठक में राज्य के मंत्रियों सहित जेडी(यू) और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अलावा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा भी मौजूद रहे।
बता दें कि नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार में एनडीए का ‘चेहरा’ रहे हैं, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि जेडी(यू) सुप्रीमो के कथित खराब स्वास्थ्य को देखते हुए भाजपा इस बार अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है।
दूसरी तरफ, नीतीश कुमार का एनडीए से अचानक बाहर निकलने का पिछला रिकॉर्ड भाजपा को चिंता में डालता रहा है।
हालांकि, वह बार बार यह जरूर कह रहे हैं कि वे हमेशा के लिए एनडीए के साथ वापस आ गए हैं। अब वह इधर उधर नहीं जाएंगे।




