
जमुई
चलिए आपको बिहार के एक ऐसे गांव से रूबरू कराते है जहां के लोग आज भी बूँद बूँद पानी के लिये तरसते है। यहां लोग महीनों नहाते नहीं कपड़ा साफ नहीं करते। कहीं पानी खत्म न हो जाये। बिहार की राजधानी में बैठी सरकार को सब पता है पर लापरवाही ऐसा कि जनता को जल संकट से उबारना मुश्किल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सुशासन का दावा यहाँ आकर दम तोड़ देता है। पढ़िए स्टार इंडिया नाउ की exclusive रिपोर्ट

जमुई जिले से लगभग 40 किमी दूर गिद्धौर प्रखंड के धोबघट सिमरिया महादलित टोला एक ऐसा ही गांव है. यहां 200 परिवार में करीब 1000 लोग रहते हैं. गांव में नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी योजना नल-जल है. टंकी और नल लगा दिया गया है. सरकारी और निजी चापाकल भी हैं, लेकिन पीने के लिए पानी नहीं है.

नल से बूंद-बूंद पानी आता है: स्थानीय लोग बताते हैं कि सरकारी नल से बूंद-बूंद पानी आ रहा है. लोगों ने इसी पानी को जमा करने के लिए नल के पास गड्ढा कर दिया. काफी समय के बाद जब गड्ढा बूंद-बूंद पानी से भर जाता है तो लोग इसी पानी छानकर खाना बनाने और पीने में इस्तेमाल करते हैं. इस कारण से गांव के लोग बीमार भी पड़ते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग? महादलित टोला के रहने वाले विनोद मांझी खर-पतवार से रस्सी बना रहे थे. शरीर पर एक चुनाव वाला टी-शर्ट पहने थे जिसपर लिखा था ‘मोदी है तो मुमकिन है’. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उन्हें चुनाव के दौरान यह टी-शर्ट मिला था. तब से इसी को पहनकर काम चलाते हैं.
जमुई के धोबघट में लगा नल में पानी नहीं
पानी की समस्या को लेकर कहा कि ‘नेता सिर्फ चुनाव के दौरान आश्वासन देकर जाते हैं और फिर अगले चुनाव आते हैं. हर बार एक ही बात कहते हैं कि समस्या का समाधान बहुत जल्द हो जाएगा.’
“पानी आता भी है तो धीरे-धीरे आता है इसलिए गड्ढा कर दिया गया है. उसमें पानी जब जमा हो जाता है तो उसे निकाल लिया जाता है. इसी तरह हमलोगों का जीवन चल रहा है.”-विनोद मांझी, स्थानीय
गंदा कपड़ा पहनना मजबूरी: स्थानीय एक बुजुर्ग मिले. जिनके शरीर पर कपड़ा के नाम पर सिर्फ एक गंदी और पुरानी धोती थी. उसी को कमर में लपेटकर काम चलाते हैं. इसको लेकर कहा कि”कपड़ा साफ करने के लिए पानी नहीं है. नल-जल का पाइप फट गया है. जुगाड़ लगाकर उसी जगह गड्ढा कर पानी जमा करते हैं. बच्चा से लेकर बुजुर्ग और महिलाएं सभी इसी पानी को पीते हैं.”

जमुई के धोबघट में पानी की टंकी
सबकी एक ही समस्या ‘पानी’: गांव में रहने वाले खेलावन मांझी, मिथुन मांझी, रामदुलारी मांझी, मनोज मांझी, मेथन मांझी, पूजा देवी, सूगन मांझी, महेश मांझी, संजय मांझी, लखन मांझी, भोजल मांझी, मीतू मांझी, भागो मांझी, बालमुडी मांझी, कैलाश मांझी सभी एक ही समस्या से जूझ रहे हैं.
“यह समस्या पूरे गांव में हैं. गांव के पुरुष बाहर मजदूरी करने के लिए जाते हैं तो गांव की महिलाएं घर का काम करती है और बच्चे उसी गंदा पानी को जमा करते हैं.”-मिथुन मांझी
गांव की महिलाओं ने बातचीत करते हुए कहा कि ‘गंदा पानी पीने से बच्चे, बूढ़े, महिला-पुरूष डायरिया और अन्य बीमारी से जूझते हैं. जो दिहाड़ी में कमाते हैं वह रुपया दवाई लेने में खर्च हो जाता है.’ महिलाएं बताती हैं कि पानी की समस्या के कारण नहाना-कपड़ा धोना तो दूर की बात है. खाना भी सही से नहीं बन पाता है.

महिलाएं कहती हैं कि चुनाव के समय नेता वोट लेने के लिए ‘काका, बाबा, अम्मा, मम्मा कर बरगलाकर वोट ले लेते हैं. समस्या बताने पर एक ही जबाब देते हैं. ‘करवा देंगे, सब ठीक हो जाऐगा’. गांव के बड़े-बुजुर्ग मेहनत मजदूरी कर पेट पालते हैं. कहते हैं कि’रोज-रोज अपनी समस्या लेकर बाबुओं के पास दौड़ते रहेंगे तो कमाऐंगे क्या और खाऐंगे क्या? अभी तो गंदा पानी ही सही पी रहे हैं. मजदूरी नहीं करेंगे तो खाने के भी लाले पड़ जाऐंगे.’
जमुई के धोबघट में चापाकल का हाल

क्या कहते हैं पदाधिकारी?
पूरे गांव में पानी की समस्या है, लेकिन जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है. मामले को लेकर गिद्धौर के कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और ना ही कोई इसको लेकर अब तक शिकायत की है. नल-जल योजना को लेकर कहा कि 10 से 12 घर में नल का जल नहीं पहुंच पाया है. उसे पूरा किया जाएगा.
“ऐसी कोई शिकायत हमारे पास नहीं पहुंची है. आपके द्वारा जानकारी दी गई. मामला संज्ञान में लाया गया है. कोलूहा पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर 10 में नल जल योजना चालू है. 10-12 घर में नल का जल नहीं पहुंच रहा है. जो भी समस्या है जल्द दिखवा लेंगे और ठीक करवा देंगे. हर घर में नल का जल पहुंचेगा”-प्रिंस कुमार, कार्यपालक अभियंता
2016 में योजना की शुरुआत: बता दें कि बिहार के गांव-गांव तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने इस योजना की शुरुआत की. साल 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सात निश्चय के तहत 2016 में हर घर नल का जल योजना की शुरुआत की गयी.
कितने घरों तक पहुंचा लाभ?
प्रदेश के घरों तक नल का जल पहुंचा भी. हालांकि कुछ ऐसे जगह हैं, जहां इसकी सुविधा पहुंचायी जा रही है. कई जगहों से शिकायत भी मिलती रही है कि योजना का लाभ पहुंचने के बाद पानी नहीं आ रहा है.
सरकारी आंकड़ा की बात करें तो बिहार में अब तक 1,74,47,055 घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाया गया. वर्तमान में इस योजना को पीएचईडी विभाग देख रहा है.



