

पंकज कुमार वरिष्ठ पत्रकार
प्रेम और विरह की अमर दास्तान बयां करता है नेतरहाट के मैगनोलिया और चरवाहे की अमर प्रेम कहानी। वैलेंटाइन डे के मौके पर आज हम आपको एक ऐसी सच्ची घटना से रूबरू करा रहे है जिनकी प्रेम आज अमर प्रेम कहानी बन गयी है। झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट का मैगनोलिया प्वाइंट प्रेम, विरह, वेदना और बलिदान की निशानी है. मैगनोलिया प्वाइंट दो प्रेमियों के मिलन से लेकर विरह, वियोग और उनके बलिदान तक का प्रत्यक्ष गवाह है. यहां एक अंग्रेज राजकुमारी ने अपने प्रेमी के विरह में सैकड़ों फीट गहरी खाई में कूद कर अपने प्रेम को अमर कर दिया था.झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर लातेहार में बसा है नेतरहाट. यहां जब सैलानी आते हैं तो सूर्योदय और सूर्यास्त को निहारते ही रह जाते हैं. इसके अलावा नेतरहाट का मैगनोलिया प्लाइंट एक अंग्रेज अफसर की बेटी और एक आदिवासी चरवाहे की कहानी बयां करता है.

कहा जाता है कि प्रेम न किसी बंधन का मोहताज होता है और न इसकी कोई सीमा होती है. नेतरहाट के हसीन वादियों में एक ऐसा ही प्यार जन्म हुआ था. इस प्यार का अंत तो काफी दुखद हुआ था, लेकिन मौत के बाद भी प्रेमी-प्रेमिका अमर हो गए. दरअसल यह बात उन दिनों की है जब भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था. नेतरहाट अंग्रेजों का प्रिय स्थलों में से एक था. यहां आकर अंग्रेज गवर्नर भी रहते थे. एक अंग्रेज गवर्नर की बेटी मैगनोलिया भी अपने पिता के साथ नेतरहाट में प्रवास करने आई थी.



अंग्रेज गवर्नर की बेटी रोज अपने घोड़े पर सवार होकर नेतरहाट की हसीन वादियों में भ्रमण करने निकल जाती थी. एक दिन नेतरहाट की वादियों में बांसुरी की मधुर धुन सुनाई दी. बांसुरी की धुन इतनी प्यारी थी कि मैगनोलिया उसकी ओर बढ़ती चली गई. मैगनोलिया ने देखा कि एक चरवाहा बटुक जो अपने मवेशियों को चरा रहा था और पास में बैठकर बांसुरी भी बजा रहा था. इसके बाद अक्सर मैगनोलिया बांसुरी की धुन को सुनने के लिए चरवाहे के पास जाने लगी और धीरे-धीरे दोनों में प्रेम बढ़ने लगा. दोनों में गहरा प्रेम हो गया और अक्सर मैगनोलिया घंटो बैठकर नेतरहाट की हसीन वादियों में चरवाहा बटुक की बांसुरी की मधुर धुन को सुनने लगी.अंग्रेज गवर्नर को जब इसकी जानकारी मिली तो उस ने करवा दी चरवाहे की हत्या तो बेटी ने भी दे दी जान चरवाहे और मैगनोलिया के प्यार की बात जब अंग्रेज गवर्नर को पता चली तो वह आग बबूला हो गए. इसके बाद गवर्नर के सैनिकों ने चरवाहे को नेतरहाट की पहाड़ियों की सैकड़ों फीट गहरी खाई में फेंक दिया. उधर मैगनोलिया जब घोड़े पर सवार होकर चरवाहे को ढूंढने के लिए निकली, तो कुछ लोगों ने उसे बताया कि चरवाहे की हत्या कर इसी गहरी खाई में फेंक दिया गया.

वह हत्या की खबर को बर्दाश्त न कर सकी और अपने घोड़े के साथ गहरी खाई में छलांग लगाकर अपनी जिंदगी समाप्त कर ली. इस प्रकार एक सच्चे निस्वार्थ और अमर प्रेम का अंत हो गया. हालांकि चरवाहे और मैगनोलिया के शरीर का अंत तो हो गया, लेकिन मैगनोलिया ने अपने प्रेमी के वियोग में अपनी जान देकर अपने प्रेम को अमर कर दिया.

मैगनोलिया और बटुक की प्रेम कहानी आज भी इतिहास के पन्नों में दबा हुआ है. नेतरहाट आने वाले लोग ही उनकी प्रेम कहानी के बारे में जान पाते हैं. अगर कहा जाए तो बटुक और मैगनोलिया की प्रेम कहानी किसी भी सूरत में लैला-मजनू, सोनी-महिवाल, हीर-रांझा आदि की प्रेम कहानियों से कम नहीं है. इन दोनों की प्रेम कहानी यह साबित करती है कि प्रेम निस्वार्थ होता है, इसमें न किसी उम्र की सीमा होती है और न जन्म का बंधन होता है.


नेतरहाट से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मैगनोलिया प्वाइंट। झारखंड का नेतरहाट किसी पहचान का मोहताज नहीं है. नेतरहाट बाजार से 9 किलोमीटर की दूरी पर बटुआ टोली में मैगनोलिया प्वाइंट स्थित है. यहां मैगनोलिया और चरवाहा की प्रतिमा भी लगाई गई है. वहीं शिलापट्ट में दोनों की प्रेम कहानी को भी अंकित किया गया है. यह स्थान सनसेट प्वाइंट के रूप में भी प्रचलित है.अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के कारण ही नेतराहट को छोटानागपुर की राजधानी कहा जाता है. समुद्रतक से करीब 3761 फीट की उंचाई पर बसे नेतरहाट का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है. यही वजह है कि अंग्रेज अफसर भी यहां से अपनी गतिविधियां संचालित करते थे. अंग्रेजों ने यहां अपना कैंप ऑफिस बना रखा था.नेतरहाट में सूर्योदय और सूर्यास्त देखना बेहद सुहावना होता है. धीरे- धीरे पहड़ों के आगोश में जाता सूरज सुर्ख लाल होकर अस्त हो जाता है. इस दृष्य को मैगनोलिया प्वांइट से देखने का अनुभव बेहद खास होता है.
