
अरेराज , मोतिहारी
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हिमालयी संत स्वामी शक्ति शरणानंद जी महाराज एवम् युवा महामंडलेश्वर जूना अखडा स्वामी रवि शंकर गिरी जी महाराज सोमेश्वर पीठाधीश्वर अरेराज संत शिरोमणि महंत बालक दास ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।मुख्य अतिथि के रूप में राम पुकार जी सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय सहसंयोजक विशिष्ट अतिथि के रूप में देवनारायण झा पूर्व कुलपति डा उपेंद्र झा पूर्व कुलपति, सौरभ कुमार विधान परिषद सदस्य,भाजपा के वरिष्ठ नेता रंजन कुमार मुजफ्फरपुर, प्रभाकर तिवारी की गरिमा उपस्थित रही।
आज के युग में पश्चात सभ्यता को समाप्त करने एवं प्राचीन संस्कृति को जागृत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भागवत भ्रमर एवं मानस चिंतामणि मानस राजधानी दिल्ली से बिहार में प्रथम बार भागवत कथा में कथा वाचन किया। जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ महाराज श्री की कथा श्रवण करने के लिए झूलती रही। पूज्य महराज ने बताया की श्रीमद् भागवत कथा यह अमृत कथा है यह कल्पतरु है इसे जितना पीना है पी लिया जाय।अगर नियम पूर्वक इसका पाठ घर में किया जाए तो घर में कभी दुख दरिद्र नहीं होगा।बच्चे संस्कारवान होंगे और आज की इसकी बहुत आवश्यकता है।


धुंधकारी के उद्धर के लिए गोकर्ण जी महाराज ने यह कथा सुनाया पापी दूरात्मा धुंधकारी का भी उद्धार हो गया। महाराज श्री ने यह भी आग्रह किया कि आप सभी अपने परिवार जनों के साथ आकर कथा श्रवण करें अगर सक्षम है तो निराहार रहे निराहार नहीं रह सकते हैं तो फलहार करके कथा श्रवण करें। अगर फलहार भी नहीं कर सकते हैं तो एक समय फलहार और एक समय भोजन करें यह भी नहीं हो सकता है तो दोनों समय भोजन ग्रहण करके कथा श्रवण करें। वही कथा के संयोजक आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी ने कहा की महाराज श्री का इस धरा धाम पर आना हम लोग के लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है महाराज श्री ने बहुत अनुग्रह किया है।यह त्रिपाठी परिवार की पितरों के उद्धार के साथ-साथ इस भागवत कथा में जो कोई भी भक्त डुबकी लगाएंगे उनका निश्चित ही कल्याण होगा। वहीं उनके अनुज ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया मौके पर डा तिरुपति त्रिपाठी मुख्य यजमान जयदेश्वर त्रिपाठी वाचशपति त्रिपाठी, अनिल त्रिपाठी, मनोज झा,प्रजापति त्रिपाठी अनिल त्रिपाठी संजय त्रिपाठी रितेश मिश्रा अजीत भगत आदि हजारों की संख्या में भक्त उपस्थित थे।















