
काठमांडू
हजारों की भीड़ ने राजधानी काठमांडू में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत किया। लोगों ने राजशाही को फिर से बहाल करने और हिंदू धर्म को राज्य धर्म के रूप में फिर लाने की मांग की। ज्ञानेंद्र शाह के करीव 10,000 समर्थकों ने पश्चिमी नेपाल के दौरे से आने पर काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनैशनल एयरपोर्ट के मेन एंट्री गेट को जाम कर दिया।
भारत के पड़ोसी देश नेपाल की सड़कों पर हजारों लोग एक बड़ी क्रांति के लिए निकल पड़े हैं। लेकिन इस महाक्रांति में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लहराई जा रही हैं। सीएम योगी को लेकर नेपाल में जबरदस्त चर्चा हो रही है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसका दावा किया जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि नेपाल में हजारों लोग सड़कों पर क्यों उतर आए हैं और इनके हाथों में सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें क्यों हैं? दरअसल, नेपाल के लोग चीन समर्थक वामपंथी सरकारों से परेशान हैं। नेपाल के इन लोगों का मानना है कि उनका देश राजशाही से लोकतंत्र तो बन गया लेकिन लोकतंत्र सिर्फ नाम का रह गया है। अब इन लोगों ने नेपाल में दोबारा राजशाही लाने का फैसला कर लिया है। हजारों की भीड़ ने राजधानी काठमांडू में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत किया। लोगों ने राजशाही को फिर से बहाल करने और हिंदू धर्म को राज्य धर्म के रूप में फिर लाने की मांग की। ज्ञानेंद्र शाह के करीव 10,000 समर्थकों ने पश्चिमी नेपाल के दौरे से आने पर काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनैशनल एयरपोर्ट के मेन एंट्री गेट को जाम कर दिया।

1769 से चली आ रही राजशाही के आखिरी राजा ज्ञानेंद्र की। साल 2008 में राज-तंत्र खत्म कर दिया गया और 28 मई को देश को फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक घोषित कर दिया गया। इसके तुरंत बाद पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को राजमहल खाली करने को कहा गया। नेपाल एक लोकतांत्रिक देश बन गया। इसी दौरान नेपाल ने खुद को हिंदू राष्ट्र की जगह एक धर्मनिरपेक्ष देश भी बना लिया। लेकिन आने वाले सालों में नेपाल को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। 2008 से ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता रही है। नेपाल में साल 2015 में नया संविधान आया। जिसके बाद नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए। साल 2017 में कम्युनिस्ट पार्टी की फिर से सरकार बनी। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी में लगातार उथल-पुथल चल रही है और जब देश में सत्ता और विपक्ष दोनों असफल होते दिखने लगे हों, तब कुछ समूह तीसरी धारा बनाने की कोशिश करते हैं।
अपने स्वार्थों के लिए नेपाल की सरकारें चीन के नजदीक हो गई। इसका नतीजा ये हुआ कि नेपाल पर चीनी कर्ज बढ़ गया। वामपंथियों के चलते नेपाल में रहने वाले थोड़े बहुत मुस्लिम कट्टरपंथियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्होंने बहुसंख्यक हिंदुओं पर पत्थरबाजी भी कर दी। इस घटना ने नेपाल को हिला दिया था। ऐसे में नेपाल की सड़कों पर एक बार फिर लोग उतर आए हैं। राजशाही वापस लाने की बातें कर रहे हैं। नेपाल में 2015 के संविधान को भंग कर राजतंत्र की बहाली की मांग की जा रही है। हजारों नेपाली काठमांडू में नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में पहुंच गए। भीड़ में शामिल लोगों के हाथों में तख्तियां थी, जिसपर लिखा था कि हमें अपना राजा वापस चाहिए। हमारे देश में संघीए गणतंत्र प्रणाली को खत्म करो। नेपाल में राजशाही को बहाल करो। इसी रैली में नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की तस्वीरें लहराई गई हैं। नेपाल के लोग ज्ञानेंद्र शाह को एक बार फिर राजा बनाना चाहते हैं। इसी दौरान ज्ञानेंद्र शाह के साथ सीएम योगी की तस्वीरें भी लहराई गई हैं।
बताया जाता है कि ज्ञानेंद्र शाह सीएम योगी की हिंदुत्ववादी छवि को पसंद करते हैं। सीएम योगी की हिंदू धर्म के प्रति निष्ठा को भी काफी पसंद करते हैं। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने कई बार भारत का दौरा करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं से मुलाकात भी की है। दरअसल, गोरक्षा पीठ और नेपाल की राजशाही में बहुत पुराने संबंध रहे हैं। गोरखनाथ मंदिर में नेपाल के राजा की ही पहली खिचड़ी चढ़ती है। नेपाल का शाही परिवार बाबा गोरखनाथ के भक्त रहे हैं।





