बिहार में नीतीश कुमार का आखिर विकल्प कौन होगा

संतोष राज पाण्डेय

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (74) के स्वास्थ्य को लेकर राजनीतिक बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव प्रबंधक से नेता बने प्रशांत किशोर ने तो यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार शारीरिक तौर पर थके हुए और मानसिक तौर पर निष्क्रिय हो चुके हैं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाया है। लेकिन हाल में कुछ नेताओं पर बेबाक जानकारी देकर चर्चा में आए ए आई टूल ग्रोक (सोशल मीडिया एक्स) से प्राप्त जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार बिल्कुल स्वस्थ हैं। 

ग्रोक को सोशल मीडिया या वैब साइटों पर ऐसी कोई मैडीकल रिपोर्ट नहीं मिली जिससे हिसाब से उन्हें अस्वस्थ कहा जाए। कुछ दिनों पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राष्ट्र गान के दौरान नीतीश के व्यवहार के बाद उनके स्वास्थ्य पर सवाल उठने लगे। उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटिड  (जद-यू ) और सहयोगी भाजपा में भी  उनके उत्तराधिकारी को लेकर सरगर्मी दिखाई दे रही है। जद-यू के कई नेता उनके 48 वर्षीय बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन अब सवाल  नीतीश के बाद कौन का है? केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ  ललन सिंह आते हैं, ललन सवर्ण हैं। यही बात उनके आड़े है। अटकलें हैं कि नीतीश की अनुपस्थिति में अति पिछड़ी जाति के पास ही जाएगी। आई.ए.एस. रह चुके और पिछड़ी जाति के ही मनीष वर्मा पार्टी के भीतर तेजी से उभरते नेता माने जाते हैं लेकिन ऐसे ही एक अफसर आर.सी.पी. सिंह का बुरा हश्र देखा जा चुका है। लेकिन नीतीश को कंधे पर उठाए रखना भाजपा की एक मजबूरी है। बिहार में भाजपा मुख्य तौर पर सवर्णों की पार्टी मानी जाती है तो दूसरी तरफ राजद पिछड़ी जातियों, खास कर यादव और मुसलमानों के दमखम पर टिकी है। नीतीश ने राजद से अति पिछड़ों और दलितों से अति दलितों को काट कर नया खेमा तैयार किया और उसके बूते पर 2005 से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आबाद हैं।

शराबबंदी से एक नया वोट बैंक तैयार किया। सरकार को गिराने और दूसरे गठबंधन की सरकार बनाने में वो माहिर हैं। यूं तो  20 सालों में यह उनका चौथा कार्यकाल होना चाहिए लेकिन यह नौवां कार्यकाल है। उधर भाजपा बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए लंबे समय से बेताब है। लेकिन यह महाराष्ट्र नहीं, बिहार है। नीतीश की पार्टी में शिंदे के कद का कोई नेता तक उभर नहीं पाया। कम सीटों के बाद भी सत्ता का संतुलन आज भी नीतीश के हाथ में है।

विधान सभा चुनाव के बाद : उधर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह घोषणा कर चुके हैं कि इस साल अक्तूबर-नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में एन.डी.ए. का नेतृत्व नीतीश कुमार ही करेंगे। माना जा रहा है कि जो भी होगा नीतीश की सहमति से होगा। पुत्र को स्थापित करने के अलावा, उनका खुद का भी बड़ा सवाल है। भाजपा में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी या विजय कुमार सिन्हा को मुख्यमंत्री पद का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। 

सम्राट अति पिछड़ा और सिन्हा सवर्ण भूमिहार जाति से हैं। एक दावेदार केंद्रीय मंत्री गिरिराज को भी माना जाता है। लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा की तरह किसी अप्रत्याशित नए चेहरे को भी सामने लाकर सबको अचंभित कर सकती है।

चुनाव का बदलता समीकरण: विधानसभा के अगले चुनाव में दो नए चेहरे जीत का समीकरण बदल सकते हैं। इनमें से एक हैं प्रशांत किशोर। चुनाव प्रबंधन में माहिर माने जाने वाले प्रशांत की जन सुराज पार्टी पहली बार विधान सभा के पूर्ण चुनाव मैदान में होगी। यह पार्टी पिछली बार विधान सभा के चार उपचुनावों में उतरी। उसे जीत तो नहीं मिली लेकिन दो क्षेत्रों में अच्छे वोट मिले। आर.जे.डी. की हार का एक कारण इसे भी माना गया। राजद ने आरोप लगाया कि भाजपा ने वोट काटने के लिए जन सुराज पार्टी को अप्रत्यक्ष रूप से मदद की थी। 

बहरहाल प्रशांत किशोर एक तरफ तो सभी जातियों को जोड़ कर एक नया विकल्प तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ जाति और धार्मिक विभाजन में फंसी राज्य की राजनीति को आॢथक और सामाजिक मुद्दों की तरफ मोडऩे का प्रयास भी कर रहे हैं। कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को चुनाव पूर्व अभियान में उतार कर नई हलचल पैदा कर दी है। कन्हैया इन दिनों ‘रोजगार दो पलायन रोको’ यात्रा कर रहे हैं। रोजगार के लिए राज्य के बाहर जाने वालों में बिहार के युवकों की संख्या चौंकाने वाली है। 

एक आंकड़े के मुताबिक देश के करीब 30 करोड़ लोग रोजगार की तलाश में हर साल अपने राज्य से बाहर जाते हैं। इनमें 3 करोड़ बिहारी होते हैं। नीतीश सरकार राज्य के औद्योगीकरण के मोर्चे पर बुरी तरह विफल रही है। उद्योगों को बिहार में स्थापित कराने के लिए राज्य सरकार कोई कारगर नीति बना ही नहीं पाई। अगले चुनाव में यह मुद्दा नीतीश के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। जिस तरह चिराग पासवान ने 2020 के चुनाव में नीतीश के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी उसी तरह 2025 में प्रशांत मुसीबत बन सकते हैं। चिराग अपना इस्तेमाल कैसे कराते हैं या करते हैं, यह भी बड़ा सवाल है। भाजपा यह हमेशा चाहेगी कि वो जे.डी.यू. की तरह अपना वोट बैंक अपने साथ रखे। चिराग की खुद की तमन्ना भी मुख्यमंत्री बनने की तो है ही।

Related Posts

एनडीए सरकार ने गबन किया 71,000 करोड़ : राकेश यादव

पटना आम आदमी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष राकेश यादव ने ईडी(बिहार) को दिया ज्ञापन कैग रिपोर्ट में 71 हजार करोड़ का खेला किया : राकेश यादव बिहार विधानसभा चुनाव के बीच…

Aaj Ka Rashifal : सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा 26 जुलाई का दिन? पढ़ें आज का राशिफल

आध्यात्मिक गुरु पंडित कमला पति त्रिपाठी┈┉══════❀((“”ॐ””))❀══════┉┈🗓आज का पञ्चाङ्ग एवम् राशिफल 🗓🌻 शनिवार, २६ जुलाई २०२५🌻 सूर्योदय: 🌅 ०५:५५सूर्यास्त: 🌄 १९:१२चन्द्रोदय: 🌝 ०७:११चन्द्रास्त: 🌜 २०:३३अयन 🌖 दक्षिणायनऋतु: 🌧️ वर्षाशक सम्वत: 👉

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *