Maha Shivratri 2025: कब है महाशिवरात्रि? जानें सही तिथि, चार प्रहर का मुहूर्त और जलाभिषेक का समय

💐आध्यात्मिक गुरु पं कमला पति त्रिपाठी “प्रमोद”💐

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महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे फाल्गुन माह में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. हर साल यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दश तिथि को मनाया जाता है. दरअसल, चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है तो महाशिवरात्रि के दिन जो लोग भगवान शिव का पूजन करते हैं भगवान भोलेनाथ उन पर विशेष कृपा करते हैं. 

इस दिन महिलाएं जीवन में सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ और देवी पार्वती की पूजा करने से साधक के कष्टों का निवारण होता है और उसके भाग्य में भी वृद्धि के योग बनते है. इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी, बुधवार को रखा जाएगा. 

🚩महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद त्रिग्रही योग बना है। इस दिन कई और खास योग भी बने हैं।इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का सुसंयोग बना है।इस दिन परिघ योग और शिव योग भी इस बार है।
इस दिन चंद्रमा मकर राशि में है,जो शुभ माना गया है। जो अत्यंत शुभ संयोग बना इस वर्ष रहा है।
इस दिन सूर्य, बुध, और शनि तीनों ग्रह कुंभ राशि में है।
इससे इस वर्ष इस दिन त्रिग्रही योग बना है।
इस दिन बुधादित्य योग भी बना है।
महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फ़ाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है।
यह त्योहार भगवान शिव को समर्पित है.
यह त्योहार शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है।
ज्योतिष के मुताबिक, इस दिन कई ग्रहों का परिवर्तन होता है।
इस दिन खगोलीय संरेखण होता है।🚩💐👏💐🚩 प्रतिवर्ष वसंत ऋतु के फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।


भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। धार्मिक दृष्टि से सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। तभी तो भोलेनाथ, आशुतोष को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। और शिव जी को प्रसन्न करने का ही महापर्व है महाशिवरात्रि ।जो प्रतिवर्ष फाल्गुण कृष्ण पक्ष मास में धूम धाम से मनाया जाता है ।
धर्म शास्त्रों में प्रदोष काल यानी सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि को प्रदोष काल कहा जाता है। और इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते है। इसी समय सभी के प्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
यही वजह है, कि प्रदोष काल में शिव जी की पूजा या शिवरात्रि में औघड़दानी भगवान शिव का जागरण करना विशेष कल्याणकारी कहा गया है। हमारे सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था।
सनातन धर्मशास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मनुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार शिव एक शक्ति है, एक रहस्यमय ऊर्जा, जिससे संपूर्ण जगत चलायमान है। हालांकि वैज्ञानिक भी अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाए हैं। लेकिन यदि प्राचीन काल के संत मुनि-ऋषियों की मानें तो उन्होंने इस अज्ञात शक्ति को शिव कहा है। और वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो महाशिवरात्रि की रात्रि बहुत खास होती है।
मान्यतानुसार इस रात्रि ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार विद्यमान होता है कि हर मनुष्य के अंदर की ऊर्जा, प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है। अर्थात् कहने का तात्पर्य यह हैं कि प्रकृति स्वयं ही मनुष्य को आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है। अत: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन-आराधना करने के लिए व्यक्ति को एकदम सीधे बैठना पड़ता है, जिससे रीड की हड्डी मजबूत होती है तथा वह व्यक्ति जो सोचता हैं वो पा सकता है, यानी इस समयावधि में आप सुपर नेचर पावर का अहसास महसूस करते है अत: महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भक्त, जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन,पूजन , अभिषेक भक्त श्रद्धा भक्ति से करते हैं। इस पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में गंगा जल सुधर, दही, धी, मधु,शर्करा,बेलपत्र, धतूरा, अपराजिता पुष्प, चमेली पुष्प, शम्मी पत्र, रातरानी और रजनी गांधा आदि से शिव जी का अभिषेक, शृंगार किया जाता है। देश भर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।

शिव जी की साधना से जीवन में धन,धान्य, सुख,सौभाग्य, समृद्धि तथा ऐश्वर्य और आरोग्य की कमी कभी नहीं होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन जो भक्ति-भाव से स्वयं एवं जगत के कल्याण के लिए भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं उनके समस्त अभीष्ट फल उन्हें प्राप्त हो जाते हैं अत: शिव ही वह ऊर्जा है,जो हर जीव के अंदर मौजूद है और इसी ऊर्जा के कारण ही हम सभी अपनी दैनिक गतिविधियां कर पाते हैं। इस दिन भक्त चारों प्रहर में महादेव का षोडशोपचार पूजन , अभिषेक, भजन, संकीर्तन जला हार,निराहार और फलाहार पर रहकर महादेव की आराधना अपने समस्त अभीष्ट प्राप्ति के लिए करते हैं।

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